Sunday 16 February 2014

"इतना बड़ा बना दिया"

कभी पहली बार स्कूल जाने मे डर
लगता था...…
आज अकेले ही दुनिया घूम लेते है................
पहले 1st नंबर लाने के लिए पढ़ते थे,
आज कमाने के लिए पढ़ते है...
गरीब दूर तक चलता हे....…
खाना खाने के लिए…..
अमीर दूर तक चलता हे ...…
खाना पचाने के लिए …...
कीसी के पास खाने के लिये एक
वक्त की रोटी नहीं है …..
कीसी के पास रोटी खाने के लिए
वक़्त ही नहीं है …
कोई लाचार है इस लिए बीमार है,
कोई बीमार है इस लिये लाचार है....
कोई अपनों के लिए रोटी छोड
देता है, कोई रोटी के लिए
अपनों को छोड़ देता है
ये दुनीया भी कितनी निराली है..
कभी वक़्त मीले तो सोचना…...
कभी छोटी सी चोट लगने पे रोते थे,
आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते है..
पहले हम दोस्तों के सहारे रहते थे,
आज दोस्तों की यादो मे रहते है......
पहले लड़ना मारना रोज़ का काम था.............
आज एक बार लड़ते है तो रिश्ते
खो जाते है.........
सच में जिन्दगी ने बहुत कुछ
सिखा दिया, जाने कब हम
को इतना बड़ा बना दिया..............!!
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