Tuesday 31 December 2013

बलात्कार रोकने के लिए जरुरी हैं- नैतिक मूल्य और कठोर क़ानून




आजकल हम सभी रेप जैसी घटनाओ से बहुत अच्छे से वाकिफ है क्यूँकि गूगल के आंकणो के अनुसार भारत में प्रति 26 मिनट में रेप कि कोई न कोई वारदात अवश्य दर्ज होती है। वस्तुतः रेप की वारदातें विश्व के लगभग सभी देशो में होती है पर हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि हम उस देश के रहने वाले है जहाँ पर नैतिक मूल्यो को बहुत महत्व दिया जाता है जहां पर स्त्रियों को बहुत उच्च स्थान प्राप्त है,गाँव हो या शहर आजकल महिलायें अपने आप को सुरक्षित नही महसूस करती है।


आये दिन टीवी,अखवार आदि में आपको रेप की खबरे मिलती है,और ऐसा नहीं है कि अपराधी पकड़े न जाते हो पर उनको उस इलाके का कोई नेता,गुण्डा या दादा बचा ही लेता है और यह बहुत बड़ी बिडम्बना है कि हमारे देश में इसके खिलाफ कोई कठोर कानून नहीं है और इसे मैं संविधान की असफलता ही मानता हूँ। जहाँ पर एेसे जघन्य कर्म करने वालो को कठोर से कठोर सजा होनी चाहिये वही हमारे देश के उच्च शिक्षित वकील उनका बचाव करते दिखते है और इस दलील के बाद कि रेप करने वाला नाबालिग है मेरा इन्सानियत से भरोसा ही उठ जाता है।

रेप पर हमारे धरतीबोझ नेता जी का दिया हुआ बयान तो याद ही होगा कि लड़को से गलतियाँ हो जाती हैं।हमारे देश के लिबरल्स जो कि रेप के कारण गिनाते घूमते है कि रेप छोटे कपड़ो की वजह से होता है,लड़कियाँ रात को निकलती ही क्यूँ है आदि आदि पर मेरे हिसाब से रेप की घटनाऐं केवल तुच्छ मानसिकता और इसके खिलाफ कोई कठोर कानून न होने की वजह से होती है मुझे लगता है कि कोई व्यक्ति जिसकी मानसिकता थोड़ी सी भी अच्छी है वह व्यक्ति रेप जैसी घटनाओं को अन्जाम नहीं दे सकता है।

हमें चाहिये कि हम अपने आगे आने वाली जेनरेशन को अपने नैतिक मूल्य स्थानांतरित करें और मोदी सरकार जो कि पूर्ण बहुमत के साथ केन्द्र में है उससे उम्मीद करतें है कि रेप जैसे अपराधो के खिलाफ कोई कठोर कानून लायेगी और उस कानून के प्रभावी परिणाम होगें तो गाँव हो या शहर हमारे देश की महिलायें अपने आपको पूर्ण सुरक्षित महसूस करते हुये अपने घरो से निकल पायेंगी

Saturday 28 December 2013

२०१३ की खट्टी-खट्टी यादें ॥

अबे…. 2013 !!
तेरे जैसा साल न आये दोबारा।
तूने तो सारा देश ही निपटा मारा।
सबसे पहले तो छीना राजेश खन्ना
यानि पहले सुपरस्टार को ।
फिर लगते रहे एक के बाद एक घाव,
मुम्बई में विलासराव।
उसके बाद ए के हंगल,
फिर बेस्ट डायरेक्टर यश अंकल।
मन करता था बीच में ही कर दें तुझसे कट्टी,
तब तक रोड़ एक्सीडेंट में मारे गए कॉमेडी किंग जसपाल भट्टी।
फिर तेरी भेंट चढ़ा बाल ठाकरे जैसा लाल,
फिर इंद्र कुमार गुजराल।
तू साले साल था, या काल!
दिसम्बर में भी तूने छोड़ा नहीं अपना गुर,
छीन लिये पंडित रविशंकर ग़ायब हो गये सितार से सुर।
फिर भी तेरा मन नहीं डोला,
हम सबो से दुर कर दिया मन्ना डे और मंडेला।
इतने पर भी भरा नहीं तेरा कोष,
दिल्ली में वहशियों की भेंट चढ़ गई
एक तेईस साल की निर्दोष।
इसके अलावा भी कुछ अच्छा नहीं रहा तेरा बीहेव,
तूने ही लील लिये  भगवान का घर
और आस्था के जय गुरुदेव।
जो तुझसे बचे उनकी भी हालत अच्छी नहीं है भाई,
राम जाने कैसे होगी इसकी भरपाई
सचिन ने क्रिकेट में जाना छोड़ दिया,
लता मंगेशकर ने गाना छोड़ दिया,
रतन टाटा ने कमाना छोड़ दिया,
अन्ना ने आवाज़ उठाना छोड़ दिया,
और सातवें सिलैण्डर ने रसोई में आना छोड़ दिया।
वाह रे काले कालखण्ड,
इतिहास निर्धारित करेगा तेरा दण्ड.
तुने तो मुझे भी नहीं छोरा,
दिया मुझें ऐसा दर्द जिसको भुलना हैं मुश्किल।
अच्छा हुआ तू बीत गया,
तुझे अंदाज़ा नहीं है कि तेरे रहते कितना कुछ रीत गया !!
काश ऐसा साल फिर कभी जीवन में न आए!
जाते जाते तू हम से ले ले फ़ाइनल गुड बाय !!
"नए साल की शुभकामनाएं" ~~®®®~~

Saturday 14 December 2013

ज़िन्दगी के खेल

ज़िन्दगी के खेल भी अजीब हैं
एक अजनबी को दिल के करीब ला दिया
कल तक जिसका नाम भी जेहन में न था
आज खुदा ने उससे हमारी तकदीर बना दिया
कुछ पल के साथ में ही
वो अपना सा लगने लगा
खुद से थे अनजान अब तक
वो हमे हमी से ज्यादा समझने लगा
कल तक तो ख्वाब में था चेहरा
वो हकीक़त बन सामने आ गया
हो गए हम ख़ास आज किसी के लिए
हमे मिटटी से सोना बना दिया
बस एक गुजारिश है खुदा से अब
के साथ उनका नसीब हो ज़िन्दगी भर
मेरे प्यार पर हो बस उनका ही हक
ये आंखे भी बंद हो तो उनका चेहरा देखकर....