Thursday 28 May 2015

यारी

जब मिले तुम्हे ये इल्म न था
इतने अज़ीम हो जाओगे
फिर जाओगे दे दर्दे दिल
के भी मुफीद ना आओगे
जो वक़्त गुज़ारा संग तेरे
सब स्वप्न सरीखे लगते हैं
सुख दुःख जो बांटे थे हमने
अब दूर सरकते दिखते हैं
हम दूर बहुत होंगे फिर भी
तुझको ना जाने देंगे दूर
तुम दिल में हमारे बसते हो
साँसों में है यारी का नूर
हँसते ही रहो और सदा सुखी
बस यही कामना मेरी है
हम यही खड़े इंतज़ार में
तेरे बिन यारी ये अधूरी है

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