Tuesday 20 September 2011

उम्र

एक दिन सम्राट अकबर ने दरबार में अपने मंत्रियों से पूछा कि मनुष्य में काम-वासना कब तक रहती है। कुछ ने कहा ३० वर्ष तक, कुछ ने कहा ६० वर्ष तक। 
बीरबल ने उत्तर दिया – “मरते दम तक”।
अकबर को इस पर यकीन नहीं आया। वह बीरबल से बोला – मैं इसे नहीं मानता। तुम्हें यह सिद्ध करना होगा की इंसान में काम-वासना मरते दम तक रहती है”।
बीरबल ने अकबर से कहा कि वे समय आने पर अपनी बात को सही साबित करके दिखा देंगे।
एक दिन बीरबल सम्राट के पास भागे-भागे आए और कहा – “आप इसी वक़्त राजकुमारी को साथ लेकर मेरे साथ चलें”।
अकबर जानते थे कि बीरबल की हर बात में कुछ प्रयोजन रहता था। वे उसी समय अपनी बेहद खूबसूरत युवा राजकुमारी को अपने साथ लेकर बीरबल के पीछे चल दिए।
बीरबल उन दोनों को एक व्यक्ति के घर ले गया। वह व्यक्ति बहुत बीमार था और बिल्कुल मरने ही वाला था।
बीरबल ने सम्राट से कहा – “आप इस व्यक्ति के पास खड़े हो जायें और इसके चेहरे को गौर से देखते रहें”।
इसके बाद बीरबल ने राजकुमारी को कमरे में बुलाया। मरणासन्न व्यक्ति ने राजकुमारी को इस दृष्टि से देखा कि अकबर के समझ में सब कुछ आ गया।
बाद में अकबर ने बीरबल से कहा – “तुम सही कहते थे। मरते-मरते भी एक सुंदर जवान लडकी के चेहरे की एक झलक आदमी के भीतर हलचल मचा देती है”।

Sunday 15 May 2011

.....जूझने के लिये तैयार हैं आप ?

सामान्य तौर पर 38 डिग्री से अधिक तापमान होने पर शरीर को परेशानी होने लगती है और इस समय तापमान 42 डिग्री से अधिक है कल राजधानी में 42.6 डिग्री का पारा था जो कि शरीर के लिये खतरनाक है तेज धूप के कारण सीधे दिमाग पर असर होता है जिससे बेचैनी का अहसास होता है और दिमाग किसी भी कार्य को लेकर केन्द्रित नहीं हो पाता है
सूर्य की किरणों में उपस्थित अल्ट्रा वायलेट किरणें शरीर के लिये नुकसानदायक " रिएक्टिव ऑक्सीज़न स्पेसीज़ " नामक कणों का उत्पादन बढ़ा देती हैं ( जो कि स्किन कैंसर का एक प्रमुख कारण है ) परन्तु तरबूज ( कहीं-कहीं इसे 'हिरमाना' भी कहा जाता है) में पाये जाने वाला ' लाइकोपिन ' नामक तत्व उन्हें बेअसर कर देता है वस्तुतः लाइकोपिन एक ' एंटी ऑक्सीडेंट ' है जो कि हमारे शरीर के अन्दर मौज़ूद ' फ्री रैडिकल्स ' को निष्क्रिय बनाने का कार्य करता है तरबूज में विटामिन '' और 'सी' भी भरपूर मात्रा में होते हैं शायद इसीलिए प्रकृति ने इसे गर्मी के मौसम में हमें प्रदान किया है
गर्मी में लगातार पसीना निकलता रहता है , अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है ( गर्मी में , जाड़े की तुलना में शरीर को काम करने के लिए डेढ़ गुना ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है ) लोग इतना थक सकते है कि साँस लेने में भी दम लगाना पड़ता है , अब ऐसे में यदि आप भोजन में पोषण तत्वों की कमी कर बैठे तो आप को लगेगा कि आप दमा ( अस्थमा ) के मरीज़ तो नहीं ? पोटेशियम और सोडियम की कमी से धूप में चक्कर खा कर गिर भी सकते हैं तीखी गर्मी में शरीर का पानी सूखने पर उल्टी-दस्त शुरु हो सकता है अतएव खाली पेट धूप में निकलें , भोजन कम तथा पानी अधिक पीयें नींबू-पानी-नमक एवं चीनी के घोल का सेवन करें धूप और गर्म हवाओं का सामना करना अगर आपकी मज़बूरी है तो शरीर को गर्मी से जूझने के लिए तैयार कर लीजिये ! वैसे मौसम विभाग की मानें तो " लू " के थपेड़े अभी शुरु नहीं हुए हैं फिरभी लोग बदहाल हैं अब मई में गर्मी का यह हाल है तो जून में क्या होगा ?

Wednesday 6 April 2011

अब जीने दो मुझे……



मैं थक गया हूँ न दे तू और ग़म नया मेरे हालात पे अब तो छोड़ दे मुझको

मैं अपने वहम में सुकून से जी लेता हूँ न तोड़ उनको अभी और जी लेने दे मुझको

रुसवाइयों का दौर कुछ रहा है बाक़ी ख़ाक बनकर सरेआम बिखरने दे मुझको

मैं तेरी नजरो में न फिर से कभी आऊंगा मेरे ख्यालों की दुनिया बसाने दे मुझको

तू अपनी दुनिया का नूर बनके यूं चमके दूर सहरा से नज़र आए आफ़ताब मुझको

साथ जितना भी दिया तूने बस वो ही काफी था अफसाना-ऐ-दर्द अब तो गुनगुनाने दे मुझको

Friday 11 March 2011

कोई हम से पूछे


किसी अजनबी को दिल में बसाना क्या है
कोई हम से पूछे
उसकी यादों में ख़ुद को भुलाना क्या है
कोई हम से पूछे
दिल फ़िर टूट के बिखर गया तो क्या
उन टुकडो को चुन कर नए अरमान बनाना क्या है
कोई हम से पूछे

किसी के दूर होकर भी पास होना क्या है
कोई हम से पूछे
न उम्मीद होकर भी इंतज़ार करना क्या है
कोई हम से पूछे
दिल की बाज़ी हार गए तो क्या
अपना सब कुछ खोकर भी मुस्कुराना क्या है
कोई हम से पूछे

होठो को सिल कर सब कुछ सहना क्या है
कोई हम से पूछे
अपने अश्कों को पी कर दुसरो को हँसाना क्या है
कोई हम से पूछे
खुदा से गिला करे भी तो क्या
उसकी हर रजा में सर को झुकाना क्या है
कोई हम से पूछे