Saturday 2 December 2023

परीक्षा

 उम्र की सच्ची परीक्षा किसी कमरें में बैठ किसी कोरे कागज पर नहीं देनी होती है। ये परीक्षा किसी प्रश्नों का उत्तर भी नहीं मांगती, ये परीक्षा बस सिखाती है, चलते रहना और खुद को‌ संभालें रखना।


सच्ची सीख तो वो सड़क देती है जहां से हम अपनें टूटे हुए बिखरे सपनों को समेट कर आगे बढ़ना सीखते हैं, जहां हम सब कुछ न कुछ खो चुके होतें हैं, जहां हमें ये दुनिया कभी सबसे परायी लगती तो कभी बहुत अपनी। जहां हमारे अपने पराए सब तरफ होते हैं और दूसरी तरफ हम अकेले, अपने सपनें और अपनें ज़िंदगी की परीक्षा में संघर्ष कर रहे होते हैं।


हम जानतें हैं परीक्षा हमारी है, देना हमें है, पर फिर भी हम एक आस लगाए अपनों की तरफ बार-बार देख रहे होते की कोई आए और आकर हमारी जगह हमारी परीक्षा दे दे या फिर किसी तरह हमें हमारी इस परीक्षा से बचा ले या कि वो हमारी मदद करे।


अफसोस ये ज़िंदगी अपने परीक्षा में किसी को भी नकल नहीं करनें देती और हमें हमारी परीक्षा अकेले ही देना होता है।


बात बस इतनी-सी ही है। अगर हम समझ जाए कि ज़िंदगी हमारी है, परीक्षा हमारी है हमें किसी की ओर देखना नहीं है बस अपनें रास्ते पर चलना है, यहां कोई प्रतियोगिता नहीं है किसी से।


ना कोई उत्तीर्ण या अनुत्तीर्ण होगा बस मसला है परीक्षा खुशी-खुशी देना है या रोते हुए अफसोस के साथ देना है और ये सिर्फ हम पर निर्भर करता है।

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