ना तुम बेवफा हो, ना हम बेवफा हैं,
मगर क्या करें, अपनी राहें जुदा हैं.
जहाँ ठण्डी-ठण्डी हवा चल रही है,
किसी की मुहब्बत वहाँ जल रही है,
ज़मीं आसमां हमसे दोनों खफा हैं.
ना तुम बेवफा हो, ना हम बेवफा हैं...
अभी कल तलक तो मुहब्बत जवां थी,
मिलन ही मिलन था, जुदाई कहाँ थी,
मगर आज दोनों ही बे-आसरा हैं.
ना तुम बेवफा हो, ना हम बेवफा हैं...
ज़माना कहे मेरी राहों में आजा,
मुहब्बत कहे मेरी बाहों में आजा,
वो समझे ना मजबूरियाँ अपनी क्या है.
ना तुम बेवफा हो, ना हम बेवफा हैं...
" लता मेम" आपको समर्पित ……