Wednesday 27 November 2013

एक पल

प्यार के एक पल ने जन्नत को दिखा दिया,
प्यार के उसी पल ने मुझे ता -उमर रुला दिया,
एक नूर की बूँद की तरह पिया हमने उस पल को,
एक उसी पल ने हमे खुदा के क़रीब ला दिया !!!

बेनाम सा ये दर्द

बेनाम सा ये दर्द, ठहर क्यूँ नही जाता,
जो बीत गया है वो , गुज़र क्यूँ नही जाता,

वो एक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ में,
जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नही जाता,

मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा,
जाते हैं जिधर सब, मैं उधर क्यूँ नही जाता,

वो नाम है बरसों से, न चेहरा न बदन है,
वो ख्वाब अगर है तो, बिखर क्यूँ नही जाता