Tuesday 7 July 2009

'मन रे तू कहे न धीर धरे'

मन, ये मन हमेशा ही पैरो में पंख लगाये इधर से उधर उड़ता रहता है || न जाने कहाँ जाना चाहता है, क्या करना चाहता है || कठपुतली बना हमे हमेशा नाचता रहता है ये मन, कभी किसी को पल में अपना बना ले तो किसी से मुह मोड़ते भी देर न लगे,कभी चाँद तारे छूने का मन होता तो कभी आसमा में उड़ने का, फिर अचानक वास्तविकता से सामना होता और ये धडाम ज़मीं पर आ गिरता!!

कभी मतवाला उन्मुक्त अल्हड जवानी के मद में डूबा हुआ, कभी अचानक से जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा हुआ ,रोज़ एक नया अहसास एक नया विश्वास , विश्वास की मै भी कुछ कर पाऊ या फिर सोचते सोचते ही सारा वक्त मुट्ठी में बंद रेत की तरह फिसल जायेगा और जिंदगी उस मोड़ पर ला खडा कर देगी जहाँ इस मन का अपना कोई वजूद ही नहीं रह जायेगा !!

जिंदगी की इस उतर चढाव में वक्त की तेज़ आंधी के थपेडे झेलते हुए न जाने कितनी बार इस मन को मरना पड़ता है | कई बार दुसरो का मन रखने के लिए तो कई बार अनजाने में ,और कभी जब मन की मुराद पूरी हो जाये तो उस समय ये मन एक सुन्दर मोर बन बारिश के स्वागत में नाच उठता है , जिससे चारो ओर खुशियों की हरियाली छा जाती है !!

कई बार धुंधली सी मंजिल की ओर भागता है ,कई बार लक्ष्हीन हो अनजाने से रस्ते पर भटकता रहता है !!

Friday 15 May 2009

मेरा नाम


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एक दिन मैं
उसके घर के सामने से निकला,
घर के बाहर कागजों के
कुछ चीथडे पड़े हुए थे...

मुझे उम्मीद थी की वो
मेरे ख़त के टुकडे होंगे..
मैंने उन्हें उठाया,
घर लाया
फिर करीने से लगाया…
तब पाया......

की वो एक कागज़ था
जिस पर कई बार मेरा नाम लिखा हुआ था................."