Friday 27 March 2015

भारत रत्न : अटल बिहारी वाजपेयी……




"भारत रत्न : अटल बिहारी वाजपेयी" _/\_
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बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढ़लना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

कुछ काँटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।

Friday 20 March 2015

The reason is you...

From that wonderfully brilliant song ....

I'm sorry that I hurt you
It's something I must live with everyday
And all the pain I put you through
I wish that I could take it all away
And be the one who catches all your tears
Thats why I need you to hear

I've found a reason for me
To change who I used to be
A reason to start over new
and the reason is You
                                        unknown


i am confused....


I want more hair on my head but I do not want any facial hair
I want to live at my home and yet I want to be alone
I want roads to be empty and still be able to make people jealous
I want to get settled and yet I don’t want to commit
I want more money than I can ever spend and yet more time to do things
I want followers and yet I want to be left alone
I want to live on a mountain and yet not far from the beach
I want to have more wants and cant really think of more
I am confused and yet I am so clear... 
                                                   


Thursday 19 March 2015

जागरूक बने……


फिर से आपको बहुत बहुत शुक्रिया……

Wednesday 18 March 2015

REAL and VIRTUAL





“LOL” She says you know….
Because Laughing out a loud is so outdated
and every time someone likes her post
she is so elated…
don’t give her food, she will manage
take away her phone, she dies
Tell her she has cancer,she is okay with it.
Tell her the internet is not working
and watch how she cries.
I am going to the washroom, she tells her mother
but why are you so dressed, may I ask?
Oh!! Mom, I need a new profile picture
and you know it’s such an exhausting task
Washroom to take picture I know it sound crazy,
But that’s what the realty is...
And this is what we have come to know,  
the days that were, I truly miss..
Just click on a button and you are a friend...  
Click and you are not…
But is not friendship a lot more than that  
Well that is what I have been taught
I think it is time, we live is the real world
And enjoy all that it brings,
Cause there is more to life then the virtual world..
There is more to life than pretty things...
                                    Pragya Singh
                  “The new poet of the new era” & my dear friend

लङकिया शिक्षित होंगी तो सबका भला होगा………

हिन्दुस्तान युवा समाचर पत्र को मेरी तरफ से बहुत बहुत शुक्रिया जिसने मेरे विचारो को इस काबिल समझा…………

Tuesday 10 March 2015

'India's daughter'




फिल्म 'India's daughter' को लेकर सोशल कार्यकर्ताएं बहुत हाइपर हो रही हैं ! मैंने पूरी फिल्म देखी ! ऐसा कुछ भी नहीं है इस फिल्म में जो बलात्कारियों के लिए हमारे मन में दया या करुणा उपजाये या उनका महिमा मंडन करे ! मुकेश नामक अपराधी के सख्त और संवेदनहीन चेहरे को देख कर घृणा और गुस्सा ही उपजता है ! वह एक बे पढ़ा लिखा अपराधी है जो जेल की सलाखों के पीछे है !

जो पढ़े लिखे, कानून विद् सलाखों से बाहर रहकर उसी की भाषा बोल रहे हैं, वे ज़्यादा खतरनाक हैं ! सजा तय करने वाले खुद सज़ा पाने के लायक हैं ! उनका कब नोटिस लिया जायेगा और उनकी मानसिकता बदलने के लिए क्या किया जाना चाहिए , यह सोचने की ज़रूरत है !
ए पी सिंह और एम एल शर्मा जैसे न्यायविद लड़कियों के लिए जैसी भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं, सज़ा तो उन्हें मिलनी चाहिए ! ये दोनों अकेले नहीं हैं ! ऐसे जस्टिस और वकील भरे पड़े हैं !

ए पी सिंह और एम एल शर्मा की जड़ सोच और मानसिकता के बरक्स ज्योति सिंह के माँ और पिता हैं जो उसी दकियानूसी परंपरा से आये हैं पर बदलाव को समझ पा रहे हैं जो सवाल कर रहे हैं कि उनकी बेटी का रात को आठ बजे लौटना इतना बड़ा गुनाह हो गया और उन लड़कों का कोई दोष नहीं जिनकी हैवानियत जहाँ तक पहुंची उसकी कल्पना भी भयानक है। उसे बताते हुए एक बलात्कारी इतना निर्लिप्त और इतना निर्भीक कैसे हो गया ? उसके सख्त और आश्वस्त चेहरे के पीछे की दुरभिसंधियों को पहचानने की ज़रूरत है !   मुझे ख़ुशी है कि बार काउंसिल ऑफ़ इण्डिया ( BCI ) ने आरोपी पक्ष के दोनों वकीलों - ए पी सिंह और एम एल शर्मा के खिलाफ गैर ज़िम्मेदार और अमर्यादित टिप्पणियाँ करने के लिए कल ''कारण बताओ नोटिस'' जारी कर दिया गया ! अब इंतज़ार है - इन दोनों बीमार सोच वाले वकीलों का लाइसेंस रद्द कर दिए जाने का ! अगर ऐसा होता है तो यह हमारे पक्ष में एक बड़ी जीत होगी !


फिल्म निर्माता को तिहाड़ जेल में जाने की अनुमति क्यों दी गयी जब मामला विचाराधीन था , वह एक अलग मुद्दा है ! इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाकर बहुत अक्लमंदी का परिचय नहीं दिया गया है !

फिल्म जिन सवालों को उठाती है, उन पर बगैर किसी पूर्वाग्रह के बात होनी चाहिए और बलात्कारियों को सही और ज़रूरी सज़ा दिलवाने के हथियार के रूप में ही इस फिल्म को देखा जाना चाहिए !
                              ~~®®®™~~

Sunday 8 March 2015

महिला दिवस है, नारी शक्ति का दिन है ,क्या सिर्फ एक दिन……………??






आज महिला दिवस है, नारी शक्ति का दिन है, शक्ति जो दुनिया को आप में दिखाई देती है, 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस न जाने कितने मंचों पर आयोजित होगा, परिसंवाद, गोष्ठियाँ, चिंतन और विमर्श होंगे।

किंतु नारी से जुड़ा सच इतना तीखा और मर्मांतक है कि संवेदना की कोमल त्वचा पर सूई की नोंक सा चुभता है। वैसे नारी से जुड़े प्रश्नों को उठाने की कोशिश करनी ही नहीं चाहिए, क्योंकि उससे संबंधित प्रश्न तो ऐसे हैं जो स्वत: ही सतह पर आ जाते हैं, लेकिन हमारी मानसिक सुन्नता और वैचारिक सुप्तता इस हद तक बढ़ चुकी है कि बलात्कार जैसी भयावक घटना भी हम उससे नहीं बल्कि धर्म से जोड़कर देखते हैं।


बलात्कार एक हृदय विदारक मुद्‍दा है, जिसे लेकर चिंतित सभी हैं - सरकार, समाज, संस्थाएँ और संगठन, लेकिन परिणाम, स्थिति और वास्तविकता आज भी वही है, जैसे पहले थे बल्कि पहले से और बढ़े हैं और ज्यादा विकृत हुए हैं।

जहाँ एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों में पीड़ित महिलाएँ कुएँ में छलाँग लगा देती हैं, वहीं शहरी क्षेत्रों में घुट-घुटकर जीने को विवश कर दी जाती हैं। यदि ग्रामीण क्षेत्र में पीड़िता मुँह खोलती है तो डायन करार देकर पत्थरों से पीट-पीटकर मार डाली जाती है और शहरी क्षेत्रों में मुँह खोलती है तो तंदूर, मगरमच्छ, आग, पानी, तेजाब जैसे अनेक उपाय हैं उसका मुँह बंद करने के लिए।


मैं यह नहीं कहता कि नारी उपलब्धियाँ नगण्य हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि इनके समक्ष नारी अत्याचार की रेखा समाज ने इतनी लंबी खींच दी है कि उपलब्धि रेखा छोटी प्रतीत होती है। समय अब भी ठहर कर सोचने का, समझने और महसूसने का है। क्योंकि सामाजिक व्यवस्था की बुनियाद उसी नारी पर आधारित है और जब कोई व्यवस्था अपनी चरम दुरावस्था में पहुँचती है तो उसके विनाश की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

बेहतर होगा कि महाविनाश की पृष्ठभूमि तैयार करने के बजाय सुगठित-समन्वित और सुस्थिर समाज के नवनिर्माण का सम्मिलित संकल्प करें?



Everything has beauty, but not everyone sees it. ~~®®®™~~


Sunday 1 March 2015

बहुत दूर, बहुत दूर


तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला,
मैं बहुत दूर, बहुत दूर, बहुत दूर चला.

इस क़दर दूर हूँ मैं लौट के भी आ न सकूँ,
ऐसी मंज़िल कि जहाँ खुद को भी मैं पा न सकूँ,
और मजबूरी है क्या इतना भी बतला न सकूँ.

आँख भर आयी अगर अश्क़ों को मैं पी लूँगा,
आह निकली जो कभी होंठों को मैं सी लूँगा,
तुझसे वादा है किया इस लिये मैं जी लूँगा.

खुश रहे तू है जहां ले जा दुआएं मेरी,
तेरी राहों से जुदा हो गयी राहें मेरी,
कुछ नहीं पास मेरे बस हैं खताएं मेरी.

तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला,
मैं बहुत दूर, बहुत दूर, बहुत दूर चला...