Tuesday 10 March 2015

'India's daughter'




फिल्म 'India's daughter' को लेकर सोशल कार्यकर्ताएं बहुत हाइपर हो रही हैं ! मैंने पूरी फिल्म देखी ! ऐसा कुछ भी नहीं है इस फिल्म में जो बलात्कारियों के लिए हमारे मन में दया या करुणा उपजाये या उनका महिमा मंडन करे ! मुकेश नामक अपराधी के सख्त और संवेदनहीन चेहरे को देख कर घृणा और गुस्सा ही उपजता है ! वह एक बे पढ़ा लिखा अपराधी है जो जेल की सलाखों के पीछे है !

जो पढ़े लिखे, कानून विद् सलाखों से बाहर रहकर उसी की भाषा बोल रहे हैं, वे ज़्यादा खतरनाक हैं ! सजा तय करने वाले खुद सज़ा पाने के लायक हैं ! उनका कब नोटिस लिया जायेगा और उनकी मानसिकता बदलने के लिए क्या किया जाना चाहिए , यह सोचने की ज़रूरत है !
ए पी सिंह और एम एल शर्मा जैसे न्यायविद लड़कियों के लिए जैसी भाषा इस्तेमाल कर रहे हैं, सज़ा तो उन्हें मिलनी चाहिए ! ये दोनों अकेले नहीं हैं ! ऐसे जस्टिस और वकील भरे पड़े हैं !

ए पी सिंह और एम एल शर्मा की जड़ सोच और मानसिकता के बरक्स ज्योति सिंह के माँ और पिता हैं जो उसी दकियानूसी परंपरा से आये हैं पर बदलाव को समझ पा रहे हैं जो सवाल कर रहे हैं कि उनकी बेटी का रात को आठ बजे लौटना इतना बड़ा गुनाह हो गया और उन लड़कों का कोई दोष नहीं जिनकी हैवानियत जहाँ तक पहुंची उसकी कल्पना भी भयानक है। उसे बताते हुए एक बलात्कारी इतना निर्लिप्त और इतना निर्भीक कैसे हो गया ? उसके सख्त और आश्वस्त चेहरे के पीछे की दुरभिसंधियों को पहचानने की ज़रूरत है !   मुझे ख़ुशी है कि बार काउंसिल ऑफ़ इण्डिया ( BCI ) ने आरोपी पक्ष के दोनों वकीलों - ए पी सिंह और एम एल शर्मा के खिलाफ गैर ज़िम्मेदार और अमर्यादित टिप्पणियाँ करने के लिए कल ''कारण बताओ नोटिस'' जारी कर दिया गया ! अब इंतज़ार है - इन दोनों बीमार सोच वाले वकीलों का लाइसेंस रद्द कर दिए जाने का ! अगर ऐसा होता है तो यह हमारे पक्ष में एक बड़ी जीत होगी !


फिल्म निर्माता को तिहाड़ जेल में जाने की अनुमति क्यों दी गयी जब मामला विचाराधीन था , वह एक अलग मुद्दा है ! इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाकर बहुत अक्लमंदी का परिचय नहीं दिया गया है !

फिल्म जिन सवालों को उठाती है, उन पर बगैर किसी पूर्वाग्रह के बात होनी चाहिए और बलात्कारियों को सही और ज़रूरी सज़ा दिलवाने के हथियार के रूप में ही इस फिल्म को देखा जाना चाहिए !
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