Sunday 17 March 2013

इतने अनजान क्यो हो………





न जाने क्यों में तुमसे इतना प्यार करती हुँ
तुमसे हरवक्त मिलने का इंतजार करती हुँ
मेरी चाहतो पर क्यों इतना अनजान हो
झील सी गहरी इन आंखों में कुछ सपने लिए
में तुमसे मिलने का इंतजार करती हुँ
हर आहट पर हमे लगे की वो आ गए
न जाने कब आप हमारे दिल में समा गए
देखते ही देखते आप मेरे इस दिल में
अपनी एक बहुत ही खास जगह बना गए
अहसास अपने प्यार का मुझको दिला गए
मोहब्बत की दुनिया में मुझको भी डुबा गए
न जाने क्या बात है आपको चाहने में
मुझे जैसे पत्थर को मोम जैसा बना गए……

मेरे प्यारे दोस्त तुम्हारे लिये…~~®®®~~