Wednesday 2 August 2017

प्यार..??


उदासी के इस लंबे दौर में मैनें बना लिये है,मुस्कुराहटो के कुछ ठिकाने..!!
यूं तो न जाने कितनी कहानियॉ हैं इन उदासियों का हिस्सा में, जिसमे एक कहानी तुम्हारी भी तो है....!!
अपने जीवन के सबसे ख़ूबसूरत और मीठे शब्द मैंने तुम्हारे ही नाम किए थे,पर नहीं जानता था कि उसका मूल्य तुम्हारे लिये दो कौड़ी भी नहीं रहेगा! तुम्हे पाने का कभी इरादा न था,लेकिन तुम्हे खो देने के डर से मुझसे जो गलतियां हुई और उनका पूर्ण स्वीकार भी मैं करता हूं पर तुम्हारी माफ़ी नहीं पा सका। जाते-जाते जो शब्दबाण तुमने छोड़े उनसे बहुत कुछ मर चुका था मेरे भीतर। पर मैं नहीं जानता कि वह कौन-सी भावना होती है जो तुमसे लगातार मिले अपमान, तिरस्कार और व्यंगय बाणो के बावजूद खत्म होने का नाम नहीं लेता। कितना कुछ था, जो तुमसे कहना था। क्यों हमारे बीच भ्रम पैदा करने की किसी कि कोशिश को सफल होने दी..?
तुम्हे अहसास भी नहीं कि सारी दुनिया की ईर्ष्या से बचने की कवायद में तुम उससे ही ईर्ष्या कर बैठे, जिसके होंठों पर सदा तुम्हारे लिए दुआएं बसती हैं। जानता हूं प्रेम के उच्चतम तल को मैं नहीं छू पाया, इसलिए ये सारी शिकायतें हैं, ये सारे प्रश्न हैं। पर फिर भी हर रोज़ तुम याद आते हो और मैं खुद को भूल जाता हूं। शायद तुम सिखा रही हो अपेक्षाओं के पर काटना और मैं सीख रहा हूं फिर से प्यार बांटना। लम्हा-लम्हा दर्ज हो रहा है तुम्हारा दिया दर्द मन के किसी कोने में और शायद एक दिन यही सिखाएँगा मुझे सही मायनों में "प्रेम"

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