क्यों ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए,
इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए...
ऐसा नहीं कि हमको कोई भी खुशी नहीं,
लेकिन ये ज़िन्दगी तो कोई ज़िन्दगी नहीं,
क्यों इसके फ़ैसले हमें मंज़ूर हो गए.
इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए...
पाया तुम्हें तो हमको लगा तुमको खो दिया,
हम दिल पे रोए और ये दिल हम पे रो दिया,
पलकों से ख़्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए.
इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए...