Sunday 3 January 2016

माँ..


वो मेरी ख़ुशी में 
खिलखिलाती है..
वो मेरे ग़म में,
आंसू बहाती है..
टूटने लगु किसी बात पर
वो हौसला बढ़ाती है...
भटक जाऊं अगर राह छोड़कर
वो रास्ता दिखाती है...
वो जान भी ले अगर मैं गलत हूँ इसबार,
वो मेरी अच्छी बाते सबको बताती हैं
वो खुदा है मेरी,वो भगवान है मेरी
उसे मेरी कोई गलती नज़र नही आती है,
किसी रोज़ बस एक निवाला कम खा लूँ तो,
वो ज़िद में छोटी बच्ची बन जाती है,
वो मानती है उसकी दुनिया हूँ मैं,
                                                                                   पर माँ..
                                                                                   तुझमे मुझे अपनी पूरी दुनिया नज़र आती है...

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