सामान्य तौर पर
38 डिग्री से अधिक
तापमान होने पर
शरीर को परेशानी
होने लगती है
और इस समय
तापमान 42 डिग्री से अधिक
है । कल
राजधानी में 42.6 डिग्री का
पारा था जो
कि शरीर के
लिये खतरनाक है
। तेज धूप
के कारण सीधे
दिमाग पर असर
होता है जिससे
बेचैनी का अहसास
होता है और
दिमाग किसी भी
कार्य को लेकर
केन्द्रित नहीं हो
पाता है ।
सूर्य की किरणों
में उपस्थित अल्ट्रा
वायलेट किरणें शरीर के
लिये नुकसानदायक " रिएक्टिव
ऑक्सीज़न स्पेसीज़ " नामक कणों
का उत्पादन बढ़ा
देती हैं ( जो
कि स्किन कैंसर
का एक प्रमुख
कारण है ) परन्तु
तरबूज ( कहीं-कहीं
इसे 'हिरमाना' भी
कहा जाता है)
में पाये जाने
वाला ' लाइकोपिन ' नामक तत्व
उन्हें बेअसर कर देता
है । वस्तुतः
लाइकोपिन एक ' एंटी
ऑक्सीडेंट ' है जो
कि हमारे शरीर
के अन्दर मौज़ूद
' फ्री रैडिकल्स ' को निष्क्रिय
बनाने का कार्य
करता है ।
तरबूज में विटामिन
'ए' और 'सी'
भी भरपूर मात्रा
में होते हैं
। शायद इसीलिए
प्रकृति ने इसे
गर्मी के मौसम
में हमें प्रदान
किया है ।
गर्मी में लगातार
पसीना निकलता रहता
है , अतिरिक्त ऊर्जा
की आवश्यकता पड़ती
है ( गर्मी में
, जाड़े की तुलना
में शरीर को
काम करने के
लिए डेढ़ गुना
ऊर्जा की आवश्यकता
पड़ती है ) लोग
इतना थक सकते
है कि साँस
लेने में भी
दम लगाना पड़ता
है , अब ऐसे
में यदि आप
भोजन में पोषण
तत्वों की कमी
कर बैठे तो
आप को लगेगा
कि आप दमा
( अस्थमा ) के मरीज़
तो नहीं ? पोटेशियम
और सोडियम की
कमी से धूप
में चक्कर खा
कर गिर भी
सकते हैं ।
तीखी गर्मी में
शरीर का पानी
सूखने पर उल्टी-दस्त शुरु
हो सकता है
अतएव खाली पेट
धूप में न
निकलें , भोजन कम
तथा पानी अधिक
पीयें । नींबू-पानी-नमक
एवं चीनी के
घोल का सेवन
करें । धूप
और गर्म हवाओं
का सामना करना
अगर आपकी मज़बूरी
है तो शरीर
को गर्मी से
जूझने के लिए
तैयार कर लीजिये
! वैसे मौसम विभाग
की मानें तो
" लू " के थपेड़े
अभी शुरु नहीं
हुए हैं फिरभी
लोग बदहाल हैं
। अब मई
में गर्मी का
यह हाल है
तो जून में
क्या होगा ?