Sunday 15 May 2011

.....जूझने के लिये तैयार हैं आप ?

सामान्य तौर पर 38 डिग्री से अधिक तापमान होने पर शरीर को परेशानी होने लगती है और इस समय तापमान 42 डिग्री से अधिक है कल राजधानी में 42.6 डिग्री का पारा था जो कि शरीर के लिये खतरनाक है तेज धूप के कारण सीधे दिमाग पर असर होता है जिससे बेचैनी का अहसास होता है और दिमाग किसी भी कार्य को लेकर केन्द्रित नहीं हो पाता है
सूर्य की किरणों में उपस्थित अल्ट्रा वायलेट किरणें शरीर के लिये नुकसानदायक " रिएक्टिव ऑक्सीज़न स्पेसीज़ " नामक कणों का उत्पादन बढ़ा देती हैं ( जो कि स्किन कैंसर का एक प्रमुख कारण है ) परन्तु तरबूज ( कहीं-कहीं इसे 'हिरमाना' भी कहा जाता है) में पाये जाने वाला ' लाइकोपिन ' नामक तत्व उन्हें बेअसर कर देता है वस्तुतः लाइकोपिन एक ' एंटी ऑक्सीडेंट ' है जो कि हमारे शरीर के अन्दर मौज़ूद ' फ्री रैडिकल्स ' को निष्क्रिय बनाने का कार्य करता है तरबूज में विटामिन '' और 'सी' भी भरपूर मात्रा में होते हैं शायद इसीलिए प्रकृति ने इसे गर्मी के मौसम में हमें प्रदान किया है
गर्मी में लगातार पसीना निकलता रहता है , अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है ( गर्मी में , जाड़े की तुलना में शरीर को काम करने के लिए डेढ़ गुना ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है ) लोग इतना थक सकते है कि साँस लेने में भी दम लगाना पड़ता है , अब ऐसे में यदि आप भोजन में पोषण तत्वों की कमी कर बैठे तो आप को लगेगा कि आप दमा ( अस्थमा ) के मरीज़ तो नहीं ? पोटेशियम और सोडियम की कमी से धूप में चक्कर खा कर गिर भी सकते हैं तीखी गर्मी में शरीर का पानी सूखने पर उल्टी-दस्त शुरु हो सकता है अतएव खाली पेट धूप में निकलें , भोजन कम तथा पानी अधिक पीयें नींबू-पानी-नमक एवं चीनी के घोल का सेवन करें धूप और गर्म हवाओं का सामना करना अगर आपकी मज़बूरी है तो शरीर को गर्मी से जूझने के लिए तैयार कर लीजिये ! वैसे मौसम विभाग की मानें तो " लू " के थपेड़े अभी शुरु नहीं हुए हैं फिरभी लोग बदहाल हैं अब मई में गर्मी का यह हाल है तो जून में क्या होगा ?