Saturday 14 December 2013

ज़िन्दगी के खेल

ज़िन्दगी के खेल भी अजीब हैं
एक अजनबी को दिल के करीब ला दिया
कल तक जिसका नाम भी जेहन में न था
आज खुदा ने उससे हमारी तकदीर बना दिया
कुछ पल के साथ में ही
वो अपना सा लगने लगा
खुद से थे अनजान अब तक
वो हमे हमी से ज्यादा समझने लगा
कल तक तो ख्वाब में था चेहरा
वो हकीक़त बन सामने आ गया
हो गए हम ख़ास आज किसी के लिए
हमे मिटटी से सोना बना दिया
बस एक गुजारिश है खुदा से अब
के साथ उनका नसीब हो ज़िन्दगी भर
मेरे प्यार पर हो बस उनका ही हक
ये आंखे भी बंद हो तो उनका चेहरा देखकर....

No comments:

Post a Comment