Thursday 4 June 2015

सिर्फ मैगी ही क्यों?

मैगी एक के बाद एक टेस्ट फेल कर रही है...लेकिन मैगी का टेस्ट लेने में इतने साल क्यों लग गए...मैगी खाते-खाते लोग बूढ़े हो गए...फिर अब एकाएक मैगी की परीक्षा क्यों हुई...और मैगी की ही परीक्षा क्यों ली गयी???...बाजार में मैगी के अलावा किसी और खाने के सामान की परीक्षा क्यों नहीं ली जा रही है??? अमिताभ, माधुरी पर ही केस क्यों दर्ज हुआ??...केस तो उन विभागों पर भी हो जिनके ज़िम्मे खाने-पीने के सामान पर नज़र रखने की ज़िम्मेदारी है..जो मोटी मोटी सैलरी लेते हैं। केस तो उन दुकानों पर भी हो जो सालों से मैगी बेचते आ रहे है हैं...केस तो सरकार के खिलाफ भी हो जिसपर जनता की सेहत की ज़िम्मेदारी है...क्योंकि मैगी कोई अभी अभी बाजार में तो आई नहीं है सालों से बाजार में है और उपरोक्त ये सब सालों से आँख बंद किये बैठे है। अब दो सवाल, एक ये की मैगी करीब 35 साल से किसकी मंजूरी पर चल रही थी? दूसरा अब किसको मैगी से दिक्कत हुई..क्योंकि जनता के लिए कोई विभाग या सरकार सोचती है ये विश्वास कोई करेगा नहीं...तो मैगी की परीक्षा के पीछे क्या कोई बड़ा खेल है????

तीन हज़ार चार सौ करोड़ की मैगी के बुरे दिन शुरू हो गये लगता है।लेकिन सिर्फ मैगी ही क्यों? पेप्सी, कोका कोला, मैडोनाल्डस, केएफसी, पिज़्ज़ा हट सब स्वास्थ के लिए खतरनाक चीज़े बेचते है।
गली मुहल्ले में खुले चाइनीज़ कॉर्नर धड़ल्ले से अजीनो मोटो (जिसे स्वास्थ के लिये घातक बताया बतया गया है), नकली टोमेटो केचप, बीमार या मरे हुए मुर्गे, नकली पनीर, घातक रासायनिक रंग जिससे चिकन, पनीर और मंचूरियन को आकर्षक बनाया जाता है का इस्तेमाल करते है।
खुले में मिलने वाले सारे मसाले लगभग मिलावटी है।लाल मिर्च पाउडर , हल्दी में रंग काली मिर्च में पपीते का बीज।देशी घी में पशु की चर्बी, कीटनाशक युक्त अनाज और सब्ज़ियाँ इत्यादि एक लंबी श्रृंखला है। हम जिसे मज़बूरी में जानते बूझते खा रहे है।
क्या इसके लिये सरकार गंभीर है? बिलकुल नहीं सैंपलिंग विभाग आता है दुकानों से अपना बंधा हुआ कमीशन( हफ्ता या महीना) ले कर चल देता है।असली खिलाड़ी मज़े करते है।
नेस्ले हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण बलि का बकरा बनेगा।हो सकता है कोई बड़ा और नया खिलाड़ी मैदान में आने की तैयारी कर रहा हो।

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