Friday 12 June 2015

प्रेम

प्रेम का इजहार कर भी दूंगा
और तुम स्वीकार भी कर लोगे..
तब भी बदलेगा क्या ?
जो एहसास अभी है,
वह तब भी रहेंगे,
जो साथ आज है
वह तब भी रहेगा......
बस बदलेगी शब्दावली
दोस्त से सनम, यार से जान
और यारा से बेटू हो जाओगी ?
तो क्या
शब्दावली बदलने के लिए ही
प्रेम इजहार किया जाता ?
प्रेम तो तब भी होता
जब हम दोस्त होते..
प्रेम तो अब भी है,
हम जिस रिश्ते में है...!!

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