सिवा खुद के
जब पास कोई
नहीं होता
एकांत खुद की
पहचान कराता है
।
एकांत कभी-कभी
बिल्कुल नहीं भाता
जब पास दूसरी
कोई आवाज़ नहीं
होती
एकांत जीने की
हर चाह को
खाता है ।
खतरनाक कैदी को
देते सजा एकांत
की
जो न डरा,न टूटा,कभी किसी
और से
एकांत की मार
से वो भी
चटक जाता है
।
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