Friday 17 May 2013

"एकांत"


एकांत कभी-कभी सर्वाधिक भाता है
सिवा खुद के जब पास कोई नहीं होता
एकांत खुद की पहचान कराता है

एकांत कभी-कभी बिल्कुल नहीं भाता
जब पास दूसरी कोई आवाज़ नहीं होती
एकांत जीने की हर चाह को खाता है

खतरनाक कैदी को देते सजा एकांत की
जो डरा, टूटा,कभी किसी और से
एकांत की मार से वो भी चटक जाता है

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